कबज़ एक ऐसा रोग है जो सुनने में तो सामान्य लगता है लेकिन जो भी इस कबाज़ से पीड़ित होता है उसके लिए ये किसी सजा से कम नहीं . कबज से निजात पाने के लिए मार्किट में बाहर सारे दर्व्य मौजूद है , लेकिन उनका एक बार इस्तेमाल कर लेने के बाद , किसी भी सामन्य व्यक्ति को उसकी आदत पड़ जाती . उनका दुष्प्रभाव आंतो को कमजोर कर देता है जिस करण पेट में ज्यादा गैस उत्पन होने लगती | परन्तु अभयारिष्ट के सेवन से आपको किसी भी प्रकार दुष्प्रभाव देखने को नहीं मिलेगा .
अभयारिष्ट में प्रयोग किये जाने वाले द्रव्य
- बड़ी हर्रे का छिलका 5 सेर
- मुन्नका 2 सेर
- महुए के फूल 40 तोला
- वायवडिंग 40 तोला
इस सब औषधिओ को कूट कर जौकुट कर लें इन सबको १ मन ११ सेर १६ तोला पानी में डाल कर पकाएं .जब जल का चौथा हिस्सा शेष रह जायेतो ठंडा कर के छान ले ,उसके बाद
गोखरू 8 तोला
निषेध 8 तोला
धनिया 8 तोला
धायके फूल 8 तोला
इंदरायण की जड़ 8 तोला
चव्य 8 तोला
सोंठ 8 तोला
दंति मूल 8 तोला
मोचरस 8 तोला
और गुड़ 8 सेर मोटा मोटा पीस कर इसमें डाल लें
अभयारिष्ट के फायदे
- अभयारिष्ट का प्रयोग पुराणी कबज़ की ठीक करने में किया जाता है
- बबासीर के मरीज को अगर कबज़ हो जाये तो इसका सेवन करवाना चाहिए
- इसके सेवन से मल त्याग करने में आसानी हो जाती है
- बबासीर के मस्सों में अगर दर्द हो तो इसका करण भी कबज़ होता है
बबासीर एक बहुत दर्दनाक बीमारी है ,इसके मरीज को बैठने उठने में भी परेशानी होती है , और अगर ऊपर से कबज हो जाये तो नरक जैसा जीवन प्रतीत होता है . कबज के करण जोर लगाने से पेट की नसों में खिचाव होता है जिससे गुदा मार्ग में और मस्सो में दर्द और ज्यादा असहनीय हो जाता है .उस समय अगर अभयारिष्ट का सेवन करवाया जाये तो मरीज को मल नरम होकर आता है , जिसका सबसे बड़ा फायदा . बबासीर के मसो में दर्द कम हो जाता है . मस्सों की सूजन भी कम हो जाती है .
अगर सुबह पेट ठीक से साफ़ न हो तो ये और बहुत सारी बीमारीओं को न्योता देता है .कबज का मुख्य करण मंदाग्नि है , मदाग्नि के करण मल पेट में संचय होने लगता है जो कबज जो कबज के शुरुआती लक्षणों में से एक है . अर्थात यही मंदाग्नि बाद में कबज बन जाती है . कबज को ठीक करने के लिए सबसे पहले मदाग्नि का उपचार किया जाना चाहिए . इस अवस्था में अभयारिष्ट का सेवन मंदाग्नि को ख़तम कर के पाचक रस को उत्पन करता है जो खाया पिया ठीक से हजम करता है और कबज़ के रोग को जड़ से ख़तम कर देता है
सेवन विधि :-
10 ml से 20 ml बराबर मात्रा में पानी मिलकर भोजन से एक घंटा बाद दिन में दो बार सेवन करना चाहिए
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इस आर्टिकल में बताई गयी सभी ज्ञान वर्धक बातें और जानकारियां सिर्फ आपके ज्ञान को बढ़ाने के लिए है , किसी भी औषधि का प्रयोग करने से पहले अपने वैद्य से परामर्श जरूर करें
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