अमृतारिष्ट कैसे बनाते है ,जैसा की आप जानते है की कोई भी अरिष्ट बनाने के लिए सबसे पहले उसमे प्रयोग की जाने वाली सभी ओषधिओ का कवाथ बनाया जाता है, उसके बाद सन्धान किया जाता है .आज हम जानेगे अमृतारिष्ट कैसे बनाते है और इसमें कोण कोण सी जड़ी बुटिओं का प्रयोग किया जाता है
अमृतारिष्ट द्रव्य
गिलोय 450 ग्राम
बेल की छाल 50 ग्राम
अरनी 50 ग्राम
अरलू की छाल 50 ग्राम
गंभारी की छाल 50 ग्राम
पाडल की छाल 50 ग्राम
शालिपर्णी 50 ग्राम
छोटी कटेरी 50 ग्राम
बड़ी कटेरी 50 ग्राम
गोखरू 50 ग्राम
कवाथ कैसे बनाये
ऊपर बताई गयी सभी जड़िओं को जो कूट कर के 10 लीटर पानी में डाल उबालें जब ५ लीटर पानी रह जाये तो छान कर रख लें .
उसके बाद
- गुड़ 450 ग्राम
- धाय के फूल 35 ग्राम
- सफ़ेद जीरा 50 ग्राम
- पित्तपापड़ा 5 ग्राम
- सतपर्ण की छाल 3 ग्राम
- सोंठ 5 ग्राम
- मिर्च 5 ग्राम
- पीपल5 ग्राम
- नागरमोथा5 ग्राम
- नागकेशर 5 ग्राम
- कुटकी 5 ग्राम
- अतीस 5 ग्राम
- इन्दर जो 5 ग्राम
इन औषधिओ का चूरन बनाकर कवाथ में डाल दें,और 30 दिन के लिए सन्धान लगाए , द्रव्य त्यार हो जाने के बाद छान कर साफ़ बोत्तल में भर कर रख लें .
मात्रा सेवन विधि :-
इसका सेवन भोजन के एक घंटे बाद बराबर मात्रा में पानी मिलकर दिन में दो बार पियें .
अमृतारिष्ट के फायदे :-
टायफॉइड के बुखार को ठीक करने के लिए अमृतारिष्ट का प्रयोग किया जाये तो शीघ्र लाभ मिलता है
अमृतारिष्ट के सेवन से पुराने से पुअरान बुखार ठीक हो जाता है .
कमजोरी के कारन बुखार ,लिवर कीकमजोरी के कारन बुखार, बर बार होने वाले बुखा हर प्रकार के बुखार में इसका सेवन करने से जावर में आराम मिलता है .
इसके इलावा मूत्राशय की कमजोरी के कारन यदि बार बार पेशाव आए तो ये अमृतारिष्ट उसे भी ठीक करता है .
यकृत प्लीहा की वृद्धि से पित स्त्राव में विकार उत्पन हो जाये तो पेट दर्द होने लगता है , अन्न बिना पचे निकल जाता है,पतले दस्त आने लग जाते है ऐसे लक्षण देखने को मिले तो अमृतशत का सेवन करना चाहिए .
कई बार महिलाओं को प्रसव के बाद तेज बुखार हो जाता है ,अमृतारिष्ट के सेवन से प्रसूत ज्वर भी ठीक हो जाता है .
गर्मिओ का बुखार जिसमे पित प्रधानता रहती है , हाथ पैर में जलन गला सुखना प्यास ज्यादा लगना और लू लगने के कारन बुखार , जिसमे चक्केर आना और घबराहट होने लगे तो अमृतारिष्ट का सेवन शीघ्र लाभ देता है.
अमृतारिष्ट में गिलोय अर्थात गुर्च की प्रधानता होती है , इस लिए इसका प्रयोग हर प्रकार के बुखार को ठीक करने में किया जा सकता है ,परन्तु इसकी तासीर ठंडी होती है . इस लिए मरीज के स्वास्थ्य और मौसम को ध्यान में रखना जरूरीर है . सर्दिओंमे इसका सेवन सबधाणी पूर्वक करना चाहिए
गिलोय को अमृत इस लिए भी कहा जाता है , इसके सेवन से चित को शांति मिलती है .
अंत में सिर्फ इतना ही लिखना है की अमृतारिष्ट के सेवन से पुराने से पुराण बुखार भी ठीक हो जाता है .
final words:-
इस आर्टिकल में बताई गयी अमृतारिष्ट की जानकारी सिर्फ ज्ञान बढ़ाने के लिए है , औषधो के स्वान से पहले अपने डॉक्टर से वियचर बिमर्श जरूर करें
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इस आर्टिकल में बताई गयी अमृतारिष्ट की जानकारी सिर्फ ज्ञान बढ़ाने के लिए है , औषधो के स्वान से पहले अपने डॉक्टर से वियचर बिमर्श जरूर करें
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