अशोकारिष्ट के फायदे और नुक्सान ashokarisht ke fayede or nuksan ,महिलाओं की हर प्रकार की परेशानी .कष्ट और रोग से छुटकारा पाने के लिए आयुर्वेद अशोक का सेवन करवाया जाता है , चाहे वो अरिष्ट के रूप में हो या किसी वट्टी ,गोली के रूप में या धृत बनाकर ,और अव्लेड के रूप में इसका सेवन खासतौर पर महिलाओं के योन अंगो ,गर्भाशय ,बच्चादानी ,अंडाशय के किसी भी रोग में इसका सेवन करवाने से बहुत जल्दी लाभ मिलता है .
अशोक को लेटिन में जोनेसिआ भी कहते है ,इसका स्वाद माधुत , और शीतल होता है ,इसमें alchoholic एक्सट्रेक्ट , आयरन और टेनिन ,अधिक मात्रा में पाया जाता है ,
आज हम आपको अशोकारिष्ट के फायदे बताने बाले है इसके निर्माण में किन किन जड़ी बुटिओं का उपयोग किया जाता है इसकी विस्तृत जकाँकरी आपको दे जाएगी .
अशोकारिष्ट में इस्तेमाल होने वाली आयुर्वेदिक ओषधियाँ :-
1 ) - अशोक छाल
अशोक एक बहुत बड़ा वृक्ष होता है ,अशोकारिष्ट के निर्माण में अशोक वृक्ष की छाल का प्रयोग किया जाता है
2 ) - धाय के फूल
3 ) - काला जीरा
4 ) - सोंठ
5 ) - नीलोफर
6 ) - हरड़
7 ) - आमला
8 ) - आम की मिग्गी
9 ) - नागरमोथा
10 ) - सफ़ेद जीरा सफ़ेद चन्दन
11 ) - वासक के फूल
अशोकारिष्ट के फायदे ashokarisht fayede in hindi
गर्भाशय का मुँह टेड़ा हो जाना
जवानी की दहलीज पर कदम रखते काम वासना बहुत बड़ जाती ,जिस से गलत ढंग से मैथुन करने पर गर्भाशय और योनि अपने स्थान से हट जाते है ,अर्थात गर्भाशय टेड़ा हो जाता है इस से पेट में दर्द और कई गंभीर परिणाम सामने आते . जिस कारण कमर और पेडू में दर्द होने लगता है . इस अवस्था में अशोकारिष्ट का सेवन कम से कम ६ महीने लगातार करना चाहिए
कम या अधिक मासिक धर्म होना
मूर्खतापूर्ण तरीके से मैथुन करने पर योनि बाहर आ जाती है ,जो बहुत कष्टकारी होता है .लूकोरिया , मासिक धर्म न आना या दर्द के साथ आना ,मासिक धर्म कम आना ,मासिक धर्म का अधिक आना और बहुत दिनों तक आते रहना कई बार तो मासिक धर्म बिलकुल बंद ही हो जाता है मासिक धर्म की हर प्रकार की परेशानी के लिए अशोका रिश्त का सेवन करवाना चाहिए .
डिंबकोष प्रदाह Ovarian infection and inflammation
मासिक धर्म में मैथुन करने पर डिंबकोष प्रदाह हो जाता है ,इसमें पीठ दर्द पेट दर्द होने लगता है ,कई बार योनि से पीला पदार्थ निलते हुए महसूस होता है , ऐसा उन महिलाओं को होता है जो बहुत अधिक मैथुन करती है उनके लिए अशोक धृत या अशोकारिष्ट का प्रयोग लगातार कई महीनो तक करना चाहिए .
हिस्टेरिअ रोग में लाभकारी
मैथुन तृप्ति न होने पर कई बार महिलाओं को हिस्टीरिआ रोग भी हो जाता है ,इसमें पेट में एक गोला सा ऊपर की उठता हुआ महसूस होता है ,देखने में ऐसा लगता है जैसे मिर्गी का दौरा है लेकिन हिस्टीरिआ के दौरे में मुँहइस रोग के समूल नाश के लिए अशोकारिष्ट का सेवन अश्वगंधा चूर्ण के साथ करने से लाभ मिलता है . से झाग नहीं निकलता ,ऐसा भी समझ सकते है की नर्वस सिस्टम की कमजोरी या तनाव के कारन भी ये रोग हो सकता है .
स्त्रिओं के हर रोग में लाभकारी
अशोकारिष्ट पाण्डु रोग , आलस्य , अनिद्रा ,चककर आना , भूख कम लगना ,बांझपन ,रक्त और श्वेत प्रदर में इसका प्रयोग किया जाता है ,गर्भाशय और योनि के जितने भी रोग है वो सब इस ओषधि से ठीक हो जाते है वशर्ते ओषधि की क्वालिटी अच्छी होनी चाहिए
माहवारी के दौरान भंयकर दर्द में
,दर्द के साथ मासिक धर्म का मुख्य कारण बीजशय और बीजवाहिनी की विकृति होती है .इस रोग में माहवारी के दौरान भंयकर पेट दर्द और पीठ में दर्द होता है इन सब व्यधिओं को दूर करने के लिए अशोकारिष्ट रामवाण काम करती है .इसका मुख्य कार्य गर्भाशय को बलबान बनाना है , और गर्भशय की शिथिलता को दूर कर के उस से उत्पन होने वाले रोग को जड़ से ख़तम कर स्त्री को नवयौवन प्रदान करता है , आप ऐसे भी कह सकते है अशोक वृक्ष महिलाओं का परममित्र है .
लूकोरिअ शवेत प्रदर में
योनि द्वार से चिकना लेसदार ,सफ़ेद पीला यां लाल या झागदार रस रिसने लगता है , इसे ही लूकोरिअ कहते है . रोग अधिक पुराना हो जाने पर दुर्गन्ध बदबू भी आने लगती है .साफ़ कपडे पहना मुश्किल हो जाता है .इस रोग के कारण शरीर धीरे धीरे सूखने लगता है यां शरीर में ताप बड़ा हुआ रहता है .हल्का हल्का बुखार हर पल महसूस होता है .
योनि मार्ग को तर रखने के लिए थोड़ा बहुत रस शरीर में सभाविक तोर पर बनता है परन्तु अधिक सहवास के कारण गर्भाशय और योनि की नाजुक त्वचा में विकृति आ जाती है .जिस कारण ये रस बहुत अधिक मात्रा में निकलने लगता है . जो बाद में गंभीर रोग का कारण बन जाता है .
कुछ समय बाद ये रोग रक्त प्रदर के के रूप में आ जाता है ,रक्त प्रदर में इस लेसदार रस के साथ खून भी आने लगता है .रोगी की हालत गंभीर हो जाती है .अशोकारिष्ट के सेवन से इन सभी व्यधिओ का नाश हो जाता है कुछ महीनो में रोगी बिलकुल ठीक और स्वस्थ है जाती है . शरीर और चेहरे पर काँटी और निखार आ जाता है .
अशोकारिष्ट का सेवन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर करें
Final words:-
अशोक वृक्ष की कई जातियां होती है , परन्तु सभी अशोक वृक्ष की छाल को दवाई के रूप में प्रयोग नहीं किया जाता . औषधि के लिए जोनेसिआ अशोक वृक्ष की छाल का प्रयोग किया जाता है .इसके पत्ते रामफल के पाटों जैसे होते है और फूल नारंगी रंग के होते है .जो सिर्फ वसंत ऋतू में ही खिलते हैं. ये वृक्ष ज्यादातर बंगाल में पाया जाता है.
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