.क्रिसमस के दिन जब उन्होंने इसा मसीह पर बनी फिल्म देखि तो उनके मन में ख्याल आया , क्यों न भारतीय संस्कृति को फिल्मो के जरीये लोगों तक पहुँचाया जाये.
दादा साहेब फाल्के जीवनी:-
नाम – धुंडिराज गोविंद फालके
जन्म – 30 अप्रैल 1870
जन्म स्थान – त्र्यम्बकेश्वर, नाशिक
पिता का नाम – गोविंद फालके
फिल्म क्षेत्र में आने से पहले दादा साहेब फाल्के ने प्रिंटिंग प्रेस का कार्य शुरू किया लेकिन उनको वो काम पसंद न आया ,वो कुछ अलग करना चाहते है ताकि दुनिया में उनका नाम हो , वो चाहते थे के उनके जाने के बाद भी लोग उनको याद रखें
कहते है इंसान चाहे तो पहाड़ को भी उखाड़ फैकता है यही किया दादा साहेब ने 40 वर्ष की उम्र में जब उनके मन में फिल्म निर्माण का संकल्प आया तो ,उन्होंने कई फिल्मे देखि ,फिल्म निर्माण me कौन कौन से इंस्ट्रूमेंट use किये जाते है इन सब की जानकारी इकठा करते गए.दादा साहेब ने पहला कैमरा पांच पोंड में ख़रीदा ,उसके साथ उन्होंने कई प्रयोग किये ,
अब बारी थी उपकरण खरीदने की जिसके लिए उनको विदेश जाना था लेकिन उनके पास पर्याप्त धन नहीं था, उन्होंने अपनी जीवन बिमा पालिसी गिरबी रख के ऋण लिया,1912 में फिल्म निर्माण की कला सिखने के लिए वो इंग्लैंड गए ,
वहां से बापिस आकर उन्होंने राजा हरिश्चंद्र फिल्म का निर्माण शुरू किया 21 अप्रैल 1913 में फिल्म रिलीज हुयी ,उस समय उनकी बहुत आलोचना भी हुयी थी कसी ने उनका साथ नहीं दिया ,कोई महिला कलाकार फिल्म में काम करने को त्यार नहीं थी , इन सब के बाबजूद उनकी फिल्म superhit हिट हो गयी.
दादा साहेब ने अपने जीवन में कई फिल्मो का production किया उन्होंने 19 वर्ष में 100 से अधिक फिल्मे बनाई ये उनकी मुख्य फिल्मे थी, :-
राजा हरिश्चंद्र (1913)
मोहिनी भस्मासुर (1913)
सावित्री सत्यवान (1914)
लंका दहन (1917)
श्री कृष्ण जन्म (1918)
कालिया मर्दन (1919)
कंस वध (1920)
शकुंतला (1920)
संत तुकाराम (1921)
भक्त गोरा (1923)
सेतु बंधन (1932)
बाबा साहेब फाल्के जी ने 16 फ़रवरी, 1944 को नासिक में अंतिम साँस ली , उनके कार्य से ये प्रेरणा मिलती है के अगर आप किसी काम को करने की इच्छा को जनून की हद तक ले जाते है तो पुरे ब्रह्माण्ड की शक्ति उसको पूरा करने में आपका साथ देती है .उनकी समृति में 1969 से दादा साहेब फाल्के पुरुस्कार की शुरुआत की गयी
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