दोस्तों आज हम कनकारिष्ट जो की एक आयुर्वेदिक औषधि है . की जानकारी प्राप्त करने वाले है .कनकारिष्ट खून को साफ़ करने के लिए प्रयोग की जाती है .
कनकारिष्ट कैसे बनाते है
640 ग्राम कत्था 5 लीटर पानी में उबालें जब पानी 1.25 शेष रह जाये तो इसे ठंडा कर के मिट्टी के वर्तन में छान कर रख लें फिर उसके बाद इसमें नीचे दी गयी ओषधिओं का बारीक चूरन मिला लें
- त्रिफला
- सोंठ
- मिर्च
- पीपल
- हल्दी
- निरमलीवीज
- दालचीनी
- बकुची
- गिलोय
- वयवडिंग
ऊपर बताई गयी परतेक 10 ग्राम धाय के फूल 30 ग्राम शहद या चीनी 500 ग्राम भी उसी वर्तन में मिला दे , और उसको ३० -४० दिन के लिए संधान के लिए रख लें .दवा तयार होने के बाद साफ़ शीशी में डालें.
मात्रा और सेवन विधि
10 ml कनकारिष्ट बराबर पानी मिलाकर सुबहा शाम भोजन के एक घंटा बाद सेवन करा चाहिए .
कनकारिष्ट के फायदे
किसी भी किसम का रक्त विकार हो कनकारिष्ट के सेवन से शीघ्र लाभ मिलता है
सफ़ेद दाग अगर किसी भी ओषधि से ठीक न हो तो कनकारिष्ट सेवन करवाना चाहिए . इसमें मौजूद वाकुचि सफ़ेद दाग ठीक करने के लिए भी प्रयोग किया जाता है .
रक्त विकार के कारन अगर चर्म रोग हो जाये तो कनकारिष्ट सेवन लाभप्रद होता है .
शरीर में छोटी छोटी फुंसिया हो जाने पर शरीर में खुजली हो जाती है .उस अवस्था में कनकारिष्ट का सेवन करवाया जाता है .
इसके इलावा कुष्ट रोग रक्तविकार , ववासीर प्रमेहपीड़िका , छोटी छोटी फुंसिया त्वचा रूखी और मलिन हो जाये . चार्म रोग में भी कंकारिश का सेवन उत्तम रहता है .
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