प्रिय पाठको आज के आर्टिकल में हम रक्तस्त्राव को रोकने वाली आयुर्वेदिक ओषधि की चर्चा करने वाले है , जिसका नाम है उशिरासव. दोस्तों आज हम जानेगे की ये किन- किन रोगोंमें सेवन करना चाहिए . और कितनी मात्रा में सेवन करना चाहिए
उशिरासव के फायदे
1 ) - जिन व्यक्तिओं को नकसीर फूटना की शिकायत होती है , उनको उशिरासव का सेवन जरूर करना चाहिए
2 ) - बवासीर में होने बाले रक्तस्त्राव को रोकने के लिए उशीरासव का प्रयोग किया जाता है
3 ) - गर्मिओं के दिनों में ज्यादा धूप में घूमने से कई बार पेशाव के साथ खून निकलने लगता है पेशाव लाल आने लगता है उस अवस्था में उशीरासव का सेवन करवाया जाये तो शीघ्र लाभ मिलता है
4 ) - जिन महिलाओं को ऋतुकाल के समय रक्तस्त्राव अधिक होता है उन्हें उशीरासव का सेवन लगातार तीन महीने तक करना चाहिए
5 ) - शरीर में गर्मी बढ़ जाने के कारन वीर्य पतला हो जाता है , जिसे धात की बीमारी कहते है , इसके लिए उशिरासव और चंदरपरभा वटी का सेवन करना चाहिए
6 ) - जिन महिलाओं को गर्भपात हो जाता है ,उनको भी उशिरासव का सेवन करवाया जाता है .
7 ) - महिला या पुरुष को किसी भी कारन से अधिक रक्त स्त्राव होता है , उनको उशीरास्व का सेवन करना चाहिए .
शरीर में किसी भी कारन से रक्तस्त्राव हो , गर्भाशय का , आँख , नाक , कान , बच्चादानी , पेशा में खून आना बवासीर में रक्तस्त्राव हर प्रकार के रक्तस्त्राव को ठीक करने में उशिरासव के सेवन करने से लाभ मिलता है
उशिरासव कैसे बनाया जाता है
- नीलोफर
- प्रियंगु के फूल
- पद्माख
- लोध
- खस
- पित्तपापड़ा
- सफ़ेद कमल
- पडोल पत्र
- कचनार की छाल
- जामुन की छल
- मोचरस
- सुगन्धवाला
- कमल
- गम्भारी फल
- मंजीठ
- जवासा
- पता
- चिरायता
- बढ़ की चाल
- गूलर की छाल
- कचूर
प्रतेक ओषधि 10 ग्राम लेकर बारीक चूरन बना लें और इसके साथ मुन्नका 100 ग्राम धाय के फूल 50 ग्राम इन सब ओषधिओ को लकड़ी के मटके में डाल कर 5 लीटर पानी मिलाएं और ऊपर से ५७० ग्राम शहद मिला लें फिर 40 दिन तक सन्धान करें
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