खट्टा अग्निमुख चूर्ण बनाने की जानकारी प्राप्त करने के लिए इस लेख को पड़ें ,खट्टा अग्निमुख चूर्ण में सोंठ ,भुना जीरा सफ़ेद ,निम्बू सत्व ,पिपरमेंट काली मिर्च और सेंधा नमक होने से खाने में बहुत स्वादिष्ट लगता है .अग्नि मुख चूरन दो प्रकार से बनाया जाता है और दोनों के फायदे भी अलग अलग हैं . आज हम आपको खट्टा अग्निमुख चूर्ण बनाने की विधि और गुण लाभ बताने वाले है इस लिए कॉपी पेन लेकर नोट कर लें ताकि जरुरत पड़ने पर आप इसे घर पर बना सकें .
खट्टा अग्निमुख चूर्ण बनाने की विधि
1 ) - भुना हुआ सफ़ेद जीरा - 100 ग्राम
2 ) - सोंठ - 50 ग्राम
3 ) - सेंधा नमक - 150 ग्राम
4 ) - काला नमक - 50 ग्राम
5 ) - काली मिर्च - 50 ग्राम
6 ) - निम्बू सत्व - 50 ग्राम
7 ) - पिपरमेंट - 2 ग्राम
इन सभी औषधिओ को बारीक पीस कर चूर्ण बना ले और किसी सूखे कांच के या प्लास्टिक के एयरटाइट डिब्बी में सुरक्षित रख लेना चाहिए . जरुरत पड़ने पर रात को या भोजन के बाद 1-2 चुटकी खाने से भोजन जल्दी पच जाता है और गैस नहीं बनती .
खट्टा अग्निमुख चूर्ण बनाने की विधि
1 ) - भुना हुआ सफ़ेद जीरा - 100 ग्राम
2 ) - सोंठ - 50 ग्राम
3 ) - सेंधा नमक - 150 ग्राम
4 ) - काला नमक - 50 ग्राम
5 ) - काली मिर्च - 50 ग्राम
6 ) - निम्बू सत्व - 50 ग्राम
7 ) - पिपरमेंट - 2 ग्राम
इन सभी औषधिओ को बारीक पीस कर चूर्ण बना ले और किसी सूखे कांच के या प्लास्टिक के एयरटाइट डिब्बी में सुरक्षित रख लेना चाहिए . जरुरत पड़ने पर रात को या भोजन के बाद 1-2 चुटकी खाने से भोजन जल्दी पच जाता है और गैस नहीं बनती .
खट्टा अग्नि मुख चूर्ण के फायदे
1 ) - इसमें काला नमक और निम्बू सत्व होने से ये अत्यंत स्वादिष्ट चूर्ण है .
2 ) - अगर भोजन करने के बाद खट्टी डकारें आएं तो इसका सेवन करना फायदेमंद रहता है .
3 ) - कई बार बदहजमी के कारन मुँह में खट्टा पानी भर आता है उस अवस्था में इसका सेवन लाभप्रद रहता है .
4 ) - भेजन के बाद पेट फूल जाये तो इसका सेवन करना उचित है इसके सेवन से भोजन तुरंत पच कर पेट हल्का महसूस होता है .
5 ) - इस चूर्ण के सेवन से भोजन अच्छी तरह पच जाता है और भूख ज्यादा लगती है .
6 ) - पेट की वायु किसी भी कारन से हो इसके सेवन से तुरंत वायु को ख़तम कर देता है .
7 ) - कई लोगो को पेट में अफारा रहता है और खट्टी डकारें आती है ,उन्हें अग्निमुख चूरन का सेवन जरूर करना चाहिए
7 ) - कई लोगो को पेट में अफारा रहता है और खट्टी डकारें आती है ,उन्हें अग्निमुख चूरन का सेवन जरूर करना चाहिए
इसके इलावा मंदाग्नि को ख़तम करने में इसका कोई जवाब नहीं , भोजन में अरुचि हो जाये , खट्टी कड़वी डकारें आने लगे ,जी मिचलाने लगे तो इस चूर्ण से लाभ मिलता है
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