अग्निमुख चूर्ण एक आयुर्वेदिक हाजमे का चूर्ण है इसमें , अदरक और पीपल जैसे गर्म तासीर के द्रव्य मिलाने से इसकी तासीर गर्म होती है , जो पेट में रुकी हुयी वायु को बाहर निकाल देती है . और बात और कफ प्रधान रोगो में भी इसका प्रयोग करने से अच्छा लाभ मिलता है .वरसात के दिनों में इसका सेवन किया जाये तो पेट में अमीबा ( आम ) नहीं रहता .
कई बार ज्यादा भोजन खा लेने से भोजन ठीक से हजम नहीं होता और पेट में जमा होकर सड़ने लगता पेट भरा हुआ रहता है . खाने में अरुचि हो जाती है ऐसा अक्सर उनको होता है जो लोग रात को देर से भोजन करने के बाद तुरंत सो जाते है , उन्हें इसका सिर्फ एक मात्रा से लाभ मिल जाता है .
गैस का चूरन कैसे बनाते है
हींग भुनी हुयी - 1 ग्राम
बच - 2 gram
पीपल, मघा - 3 ग्राम
सोंठ - 4 ग्राम
अजवाइन - 5 ग्राम
हर्र - 6 ग्राम
चित्रक मूल - 7 ग्राम
कुठ - 8 ग्राम -
इन सब औषधिओं को सूखा कर बारीक पीस कर चूर्ण बना लें .
मात्रा और सेवन विधि :-
२ ग्राम से ३ ग्राम गर्म पानी से सेवन करना चाहिए .इसके इलावा इसे दही या छाछ के साथ भी सेवन किया जा सकता है .
गर्म तासीर के लोगो को इसका सेवन नहीं करना चाहिए .
गर्भावस्था में इसका सेवन न करें तो बेहतर है,
हाइपर एसिडिटी पेट में तेजाब बनने , मुँह में खट्टा पानी आने की अवस्था में इसका सेवन नहीं करना चाहिए .
बात और कफ प्रधान व्यक्तिओं को सेवन करवाया जाये तो अच्छा फायदा मिलता है .
जिन व्यक्तिओं के पेट में जलन या छाती में जलन होती है उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए .
अग्नि मुख चूर्ण के फायदे :-
1 ) - इस चूर्ण का प्रयोग पेट की गैस ख़तम करने के लिए किया जाता है .
2 ) - पेट में गैस रुक जाने से पेट फूल जाये तो गर्म पानी के साथ सेवन करने से गैस निकल जाती है पेट हल्का हो जाता है .
3 ) - इस चूर्ण के सेवन से मंदाग्नि ठीक हो जाती है ,खाना मजम हो जाता है .
4 ) - भूख न लगना , पेट दर्द , गुल्म रोग ,कबज, खाने में रूचि न होना ठीक करने में इस चूर्ण का सेवन करना चाहिए .
कई बार ज्यादा भोजन खा लेने से भोजन ठीक से हजम नहीं होता और पेट में जमा होकर सड़ने लगता पेट भरा हुआ रहता है . खाने में अरुचि हो जाती है ऐसा अक्सर उनको होता है जो लोग रात को देर से भोजन करने के बाद तुरंत सो जाते है , उन्हें इसका सिर्फ एक मात्रा से लाभ मिल जाता है .
गैस का चूरन कैसे बनाते है
हींग भुनी हुयी - 1 ग्राम
बच - 2 gram
पीपल, मघा - 3 ग्राम
सोंठ - 4 ग्राम
अजवाइन - 5 ग्राम
हर्र - 6 ग्राम
चित्रक मूल - 7 ग्राम
कुठ - 8 ग्राम -
इन सब औषधिओं को सूखा कर बारीक पीस कर चूर्ण बना लें .
२ ग्राम से ३ ग्राम गर्म पानी से सेवन करना चाहिए .इसके इलावा इसे दही या छाछ के साथ भी सेवन किया जा सकता है .
गर्म तासीर के लोगो को इसका सेवन नहीं करना चाहिए .
गर्भावस्था में इसका सेवन न करें तो बेहतर है,
हाइपर एसिडिटी पेट में तेजाब बनने , मुँह में खट्टा पानी आने की अवस्था में इसका सेवन नहीं करना चाहिए .
बात और कफ प्रधान व्यक्तिओं को सेवन करवाया जाये तो अच्छा फायदा मिलता है .
जिन व्यक्तिओं के पेट में जलन या छाती में जलन होती है उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए .
अग्नि मुख चूर्ण के फायदे :-
1 ) - इस चूर्ण का प्रयोग पेट की गैस ख़तम करने के लिए किया जाता है .
2 ) - पेट में गैस रुक जाने से पेट फूल जाये तो गर्म पानी के साथ सेवन करने से गैस निकल जाती है पेट हल्का हो जाता है .
3 ) - इस चूर्ण के सेवन से मंदाग्नि ठीक हो जाती है ,खाना मजम हो जाता है .
4 ) - भूख न लगना , पेट दर्द , गुल्म रोग ,कबज, खाने में रूचि न होना ठीक करने में इस चूर्ण का सेवन करना चाहिए .
FINAL WORDS: -
इस आर्टिकल में बताई गयी जानकारी सिर्फ आपका ज्ञान बढ़ाने के लिए ,किसी भी औषधि का प्रयोग करने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर करें .हम किसी औषधि रोग ठीक होने या न होने की गारंटी नहीं लेते .
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