अविपत्तिकर चूर्ण का सेवन आपने भी जरूर किया होगा क्या आप जानते है चूर्ण में क्या क्या औषधि होती है , और इस चूर्ण को कैसे बनाये पूरी जानकारी हिंदी में .अविपत्तिकर चूर्ण में मिश्री , सोंठ ,विड़नमक ,त्रिफला ( हरड़ , बहेड़ा, अमला ) आदि सभ्य औषधीय मिलायी जाती है इसके इलावा इसमें निशोध भी मिलाया जाता है .
अविपत्तिकर चूरन की सामग्री
सोंठ 10 ग्राम
पीपल 10 ग्राम
काली मिर्च 10 ग्राम
हरड़ 10 ग्राम
बहेड़ा 10 ग्राम
आमला 10 ग्राम
नागरमोथा 10 ग्राम
विड़नमक 10 ग्राम
वायवडिंग 10 ग्राम
छोटी इलाची 10 ग्राम
तेजपत्र 10 ग्राम
लॉन्ग 110 ग्राम
निशोध की जड़ 440 ग्राम
मिश्री 660 ग्राम
अविपत्तिकर चूर्ण कैसे बनाये
अविपत्तिकर चूर्ण बनाने के लिए ऊपर बताई गयी सभी औषधियां निर्धारित अनुपात मने लेकर सूखा लें और उसके बाद बारीक पीस कर चूर्ण बना लें , या मसाला- हल्दी पीसने वाली दुकान से पिसवा लें . उसके बाद इस चूर्ण को साफ़ डिब्बेमे डाल कर रख लें .
मात्रा और सेवन
2 से 3 ग्राम अवित्तपतिकार चूर्ण का सेवन नारियल पानी के साथ करना चाहिए .परन्तु इसको सादे ठन्डे पानी के साथ भी खा सकते है .यदि आवश्यकता हो तो तजा कच्चे दूध के साथ भी सेवन किया जा सकता है .
अविपत्तिकर चूर्ण के फायदे
1 ) - इस चूर्ण का प्रयोग अम्लपित्त रोग को ठीक करने केलिए किया जाता है
2 ) - पित की विकृति से उत्पन हुए सभी विकारों को अविपत्तिकर चूर्ण के सेवन से लाभ मिलता है
3 ) - इस चूर्ण के सेवन से जठरागिनी प्रदीप्त हो जाती है और भूख लगने लगती है .
अविपत्तिकर चूरन की सामग्री
सोंठ 10 ग्राम
पीपल 10 ग्राम
काली मिर्च 10 ग्राम
हरड़ 10 ग्राम
बहेड़ा 10 ग्राम
आमला 10 ग्राम
नागरमोथा 10 ग्राम
विड़नमक 10 ग्राम
वायवडिंग 10 ग्राम
छोटी इलाची 10 ग्राम
तेजपत्र 10 ग्राम
लॉन्ग 110 ग्राम
निशोध की जड़ 440 ग्राम
मिश्री 660 ग्राम
अविपत्तिकर चूर्ण कैसे बनाये
अविपत्तिकर चूर्ण बनाने के लिए ऊपर बताई गयी सभी औषधियां निर्धारित अनुपात मने लेकर सूखा लें और उसके बाद बारीक पीस कर चूर्ण बना लें , या मसाला- हल्दी पीसने वाली दुकान से पिसवा लें . उसके बाद इस चूर्ण को साफ़ डिब्बेमे डाल कर रख लें .
मात्रा और सेवन
2 से 3 ग्राम अवित्तपतिकार चूर्ण का सेवन नारियल पानी के साथ करना चाहिए .परन्तु इसको सादे ठन्डे पानी के साथ भी खा सकते है .यदि आवश्यकता हो तो तजा कच्चे दूध के साथ भी सेवन किया जा सकता है .
अविपत्तिकर चूर्ण के फायदे
1 ) - इस चूर्ण का प्रयोग अम्लपित्त रोग को ठीक करने केलिए किया जाता है
2 ) - पित की विकृति से उत्पन हुए सभी विकारों को अविपत्तिकर चूर्ण के सेवन से लाभ मिलता है
3 ) - इस चूर्ण के सेवन से जठरागिनी प्रदीप्त हो जाती है और भूख लगने लगती है .
अमल्पित के शुरुआती दिनों में मुँह में खट्टा पानी आता है .छाती में जलन होती है .तीखा तेज मसाले वाला भोजन करने से भी अम्लपित्त की शिकायत हो जाती है
4 ) - इसके सेवन से पेट की शुद्धि होजाती है , अर्थात दस्त साफ़ और नरम आता है .
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