ऐलादी चूर्ण वमन रोकने की सबसे अच्छी औषधि है .इसके इलावा ऐलादी चूर्ण प्यास ज्यादा लगने , गला सूखना , अमाशय में विकृति के कारण उल्टियां होना आदि रोगो में लाभकारी है | आज हम आपको उल्टियां रोकने के लिए आयुर्वेदिक चूर्ण बता रहे है जिसका प्रयोग आप जी मिचलाना और वमन आदि रोगों में कर सकते है.
ऐलादी चूर्ण बनाने की विधि सेवन की मात्रा और फायदे क्या क्या है .इन सब बातों की जानकारी आप इस लेख से प्राप्त कर सकते है ~
ऐलादी चूर्ण कैसे बनाये
छोटी इलाची 10 ग्राम
नागकेसर 10 ग्राम
दालचीनी 10 ग्राम
तेजपात 10 ग्राम
तालीसपत्र 10 ग्राम
वंशलोचन 10 ग्राम
मुन्नका बीज रहित 10 ग्राम
अनारदाना असली 10 ग्राम
धनिया 10 ग्राम
काला जीरा 10 ग्राम
सफ़ेद जीरा 10 ग्राम
पीपल 5 ग्राम
पिपला मूल 5 ग्राम
चव्य 5 ग्राम
चित्रकमूल 5 ग्राम
सोंठ 5 ग्राम
काली मिर्च 5 ग्राम
अजवायन 5 ग्राम
अमलबेल 5 ग्राम
वन अजवायन 5 ग्राम
असगंध 5 ग्राम
कोंच के बीज 5 ग्राम
मिश्री 80 ग्राम
उपरोक्त द्रव्यों को निर्धारित अनुपात में मिलाकर कूट पीस कर महीन चूर्ण बनाकर रख लें
सेवन विधि और मात्रा
2 से 4 ग्राम शहद में मिलाकर या मिश्री के साथ मिलाकर खाएं और ऊपर से ताजा पानी पी लें .
ऐलादी चूर्ण के लाभ और गुण :-
1 ) - वात और कफ को संतुअल में रखना इस औषधि का मुख गुण है .
2 ) - गर्मिओ के दिनों में अगर बार बार पानी पिने के बाद भी प्यास न बुझे तो ऐलादी चूर्ण की एक मात्रा मिश्री के साथ खाएं और ऊपर से ताजा पानी पीने से चित शांत हो जाता है और तृप्ति हो जाती है |
3 ) - अक्सर कुछ लोगो का गला सूखा रहता है , जिससे उनका मन कोल्ड ड्रिंक या ठन्डे द्रव्य पीने को करता है .उन्हें ऐलादी चूर्ण का सेवन करवाने से गले का सूखना बंद हो जाता है |
4 ) - कई बार उल्टियां इतनी ज्यादा हो जाती हैं की रुकने का नाम नहीं लेती , कुछ भी खा लेने से वमन हो जाता है , उस अवस्था में ऐलादी चूर्ण का सेवन लाभकारी सिद्ध होता है .
वमन कई करने से हो सकता है , अगर अमाशय के विकार ke karan वमन हो raha है तो इसका सेवन लाभकारी होता है परन्तु वमन किसी दूसरे rog के कारन हो तो एलडी vati का सेवन vyarth सिद्ध होता है इस liye औषधि का सेवन करने से pahle docter से pramrsh jarur karen
ऐलादी चूर्ण बनाने की विधि सेवन की मात्रा और फायदे क्या क्या है .इन सब बातों की जानकारी आप इस लेख से प्राप्त कर सकते है ~
ऐलादी चूर्ण कैसे बनाये
छोटी इलाची 10 ग्राम
नागकेसर 10 ग्राम
दालचीनी 10 ग्राम
तेजपात 10 ग्राम
तालीसपत्र 10 ग्राम
वंशलोचन 10 ग्राम
मुन्नका बीज रहित 10 ग्राम
अनारदाना असली 10 ग्राम
धनिया 10 ग्राम
काला जीरा 10 ग्राम
सफ़ेद जीरा 10 ग्राम
पीपल 5 ग्राम
पिपला मूल 5 ग्राम
चव्य 5 ग्राम
चित्रकमूल 5 ग्राम
सोंठ 5 ग्राम
काली मिर्च 5 ग्राम
अजवायन 5 ग्राम
अमलबेल 5 ग्राम
वन अजवायन 5 ग्राम
असगंध 5 ग्राम
कोंच के बीज 5 ग्राम
मिश्री 80 ग्राम
उपरोक्त द्रव्यों को निर्धारित अनुपात में मिलाकर कूट पीस कर महीन चूर्ण बनाकर रख लें
सेवन विधि और मात्रा
2 से 4 ग्राम शहद में मिलाकर या मिश्री के साथ मिलाकर खाएं और ऊपर से ताजा पानी पी लें .
ऐलादी चूर्ण के लाभ और गुण :-
1 ) - वात और कफ को संतुअल में रखना इस औषधि का मुख गुण है .
2 ) - गर्मिओ के दिनों में अगर बार बार पानी पिने के बाद भी प्यास न बुझे तो ऐलादी चूर्ण की एक मात्रा मिश्री के साथ खाएं और ऊपर से ताजा पानी पीने से चित शांत हो जाता है और तृप्ति हो जाती है |
3 ) - अक्सर कुछ लोगो का गला सूखा रहता है , जिससे उनका मन कोल्ड ड्रिंक या ठन्डे द्रव्य पीने को करता है .उन्हें ऐलादी चूर्ण का सेवन करवाने से गले का सूखना बंद हो जाता है |
4 ) - कई बार उल्टियां इतनी ज्यादा हो जाती हैं की रुकने का नाम नहीं लेती , कुछ भी खा लेने से वमन हो जाता है , उस अवस्था में ऐलादी चूर्ण का सेवन लाभकारी सिद्ध होता है .
अमाशय विकार होने से अगर वमन हो तो भी इसका सेवन उचित मात्रा में करने से शीघ्र गुण लग जाता है .
वमन कई करने से हो सकता है , अगर अमाशय के विकार ke karan वमन हो raha है तो इसका सेवन लाभकारी होता है परन्तु वमन किसी दूसरे rog के कारन हो तो एलडी vati का सेवन vyarth सिद्ध होता है इस liye औषधि का सेवन करने से pahle docter से pramrsh jarur karen
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