कर्पूरादि चूर्ण से गले के अनेकों रोग ठीक हो जाते है | कर्पूरादि चूर्ण को खाने से शरीर में उत्तेजना आती है | सेक्स पावर बढ़ाने से लाभकारी | कर्पूरादि चूर्ण गले की दर्द खांसी , स्वरभंग ,भोजन में अरुचि बबासीर आदि कई रोग में फायदेमंद होती है
कर्पूरादि चूर्ण घर पर कैसे बनाये
इस चूरन को बनाना बहुत आसान है , ये सब सामग्री आपको करयाणा की दुकान से भी मिल जाएगी जो एक आध सामग्री है वो आपको पंसारी की दुकान से मिल जाएगी . अगर आपकी नयी नयी शादी हुयी है तो भी ये चूरन आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है .निचे बताई गयी सभी समग्री निर्धारित अनुपात में मिलाकर पीस लें
कपूर 10 ग्राम
दालचीनी 10 ग्राम
कंकोल 10 ग्राम
जायफल 10 ग्राम
तेजपात 10 ग्राम
लॉन्ग 10 ग्राम
नागकेसर 20 ग्राम
कालीमिर्च 30 ग्राम
पीपल 40 ग्राम
सोंठ 50 ग्राम
कुज्जा मिश्री 200 ग्राम
कर्पूरादि चूर्ण घर पर कैसे बनाये
इस चूरन को बनाना बहुत आसान है , ये सब सामग्री आपको करयाणा की दुकान से भी मिल जाएगी जो एक आध सामग्री है वो आपको पंसारी की दुकान से मिल जाएगी . अगर आपकी नयी नयी शादी हुयी है तो भी ये चूरन आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है .निचे बताई गयी सभी समग्री निर्धारित अनुपात में मिलाकर पीस लें
कपूर 10 ग्राम
दालचीनी 10 ग्राम
कंकोल 10 ग्राम
जायफल 10 ग्राम
तेजपात 10 ग्राम
लॉन्ग 10 ग्राम
नागकेसर 20 ग्राम
कालीमिर्च 30 ग्राम
पीपल 40 ग्राम
सोंठ 50 ग्राम
कुज्जा मिश्री 200 ग्राम
कर्पूरादि चूर्ण को बनाने के लिए ऊपर बताई गयी सभी द्रव्यों को पीस कर पाउडर बनाकर रख लें .
सेवन विधि :-
कर्पूरादि चूर्ण की २ ग्राम मात्रा दिन में दो बार सुबह शाम ताजे जल के साथ या छाछ के साथ ले सकते है .
कर्पूरादि चूर्ण के फायदे
गले में जमा हुआ कफ अगर किसी दवा से न निकले तो कर्पूरादि चूरन की ४-५ खुराक खाने से कफ पतला होकर निकल जाता हैऔर गला साफ़ हो जाता है .
अक्सर फ्रिज का ठंडा पानी पिने से आवाज़ बैठ जाती है ,गले दर्द होने लगता है इस चूर्ण को खाने से आवाज़ साफ़ हो जाती है .
पल्स रेट कम जाने की स्थिति में ,या नाड़ी मंद गति से चले तो इस चूर्ण का सेवन गुणकारी होता है .
ब्लड प्रेस एक दम से गिर जाये दिल बैठता हुआ महसूस होने लगे तो कर्पूरादि चूर्ण बहुत लाभकारी सिद्ध होता है .
सर्दिओं में अक्सर खांसी जुकाम हो जाता है , तब अगर करपुअरडी चूरन की एक - एक चुटकी दिन मे 5 से 6 बार खाने से जुकाम और खांसी नज़ला आदि रोगोंमें सुधर आता है .
ये एक दिव्य औषधि है ,इसके सेवन से शरीर में उत्तेजना बहुत बढ़ जाती है इस लिए जितना काम मात्रा में इसका प्रयोग किया जाये उतना ही बेहतर है .इसका सेवन करने से काम उत्तेजना भी बढ़ जाती है
मिश्री की मात्रा आधी कर दी जाये और कपूर की जगह कोंच के बीज ३० ग्राम , मिला दिए जाएँ तो इस चूरन का असर विआगरा से अधिक होगा .
बैसे तो कर्पूरादि चूर्ण का प्रयोग गले के रोगों , खांसी जुकाम में किया जाता है परन्तु भोजन में अगर अरुचि होने लगे गैस , वायु और अफरा होने लगे खाया हुआ ठीक से हजम न हो तो भी इसका सेवन चमत्कारी सिद्ध होता है .
सबधाणी :-
गर्भवती महिलाएं कर्पूरादि चूरन का सेवन न करें.
बच्चो को इस चूरन का सेवन बहुत कम मात्रा में करवाना चाहिए .
final words : -
इस चूर्ण का प्रयोग आप किन किन रोगों में कर सकते है इसके बारे में अधिक जानकारी चाहिए तो हमें ईमेल करें , और कोई सुझाव चाहिए तो बेझिझक बात कर सकते है
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