गोक्षुरादि चूर्ण वृष्य ( बल बढ़ाने वाला ) इसके सेवन से शरीर में शक्ति की वृद्धि होती है .परुषों के लिए ये कामोत्तेजक का काम करता है . वीर्य का पतला पण होने पर स्त्री की कल्पना मात्र से वीर्य पानी की तरह निकल जाता है .इस अवस्था में शुक्र अतिशीघ्र संखलित हो जाता है जिससे पुरुष वैवाहिक जीवन का आनंद नहीं उठा सकते और बात तलाक़ तक पहुँच जाती है . वीर्य में शुक्राणुओं में कमी होने पर दम्पति संतान सुख से भी वंचित रह जाते है .
इस रोग से छुटकारा पाने केलिए पुरुष कई तरह की विषैली दवाईओ का सेवन भी कर जाते है जिससे कई दूसरे रोग शरीर को जकड लेते है . जिस कारन शरीर पहले से भी ज्यादा कमजोर और निर्बल हो जाता है .वीर्य से सम्बंधित कोई भी रोग होजाने पर गोक्षुरादि चूर्ण का सेवन करना चाहिए ये चूर्ण आयुर्वेदिक होने के कारन इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है. इसका कोई दुष्प्रभाव शरीर पर नहीं पड़ता .
गोक्षुरादि चूर्ण के लाभ :-
गोक्षुरादि चूर्ण की सामग्री :-
गोखरू 40 ग्राम
तालमखाना 40 ग्राम
शतावर 40 ग्राम
कोंच के बीज 40 ग्राम
नागबला 40 ग्राम
अतिबला 40 ग्राम
इन सब सामग्रीओ को पंसारी की दूकान से खरीद कर अच्छी तरह सूखा और फिर बारीक पीस कर साफ़ और सुखी कांच की डिब्बी में डाल कर रखे ऊपर से ढकन बंद कर ले.
उपयोग विधि :-
रात को सोने से पहले गुनगुने दूध के साथ 2 ग्राम गोक्षुरादि चूर्ण का सेवन करें . लगातार तीन महीने तक इस चूर्ण का सेवन करने से शरीर में अद्भुत शक्ति का संचार होने लगता है. शादी शुदा जीवन से निराश हो चुके विवाहिक पुरुष के लिए ये चूर्ण सन्जीनि का काम करता है .शीघ्र लाभ के लिए इस चूर्ण का सेवन दिन दो बार सुबहा और शाम को करना चाहिए .
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