कृमीधन चूर्ण पेट के कीड़े एक ऐसा रोग है, जो खुद में कोई रोग न होते हुए भी बहुत सारी गम्भीर बीमारीओं का ( cancer , ulcer )कारण बन सकते है. पेट में कीड़े होने से शरीर में खून की कमी हो जाती है, कमजोरी आँखों के आगे अँधेरा छाना ,चेहरा पीला और मुरझाया हुआ लगता है. पेट के कृमि बच्चों शरीरिक विकास में बाधा बनते है .
पेट के कीड़े अगर अधिक दिनों तक बने रहे तो अलसर , और कैंसर जैसी गम्भीर बीमारिया भी हो सकती है. alopathy में पेट के कृमि की बहुत सारी दवाईयां मिलती है , जैसे की एल्बाण्डाजोल , मैट्रोनिडाज़ोल , आदि , परन्तु जब तक इनको खाते रहे पेट के कीड़े ख़तम हो जाते है .कुछ दिनों बाद फिर से पेट के कीड़े आ जाते है .
आज हम आपको पेट के कीड़े ख़तम करने की आयुर्वेदिक दवाई बताने वाले है जिसका सेवन करने से पेट के कीड़े हमेशा के लिए ख़तम ही सकते है . अगर आप थोड़ा से परहेज भी करें तो .
कैसे पता करे की आपके पेट में कीड़े है
इसका सबसे असं तरीका है , लेबोरेटरी में इसकी जांच करवाई जाये , लैबोरेटरी में आपके मल की जाँच कर के पता लगे जा सकते है की आपके पेट में कीड़े है या नहीं.
दूसरा तरीका है , जब आप सो कर उठते है तो आपके मुँह होंठो पर एक तरफ सफ़ेद थूक का निशान बना हुआ होता है . और जिनके पेट में कीड़े जियादा हो जाये तो उन्हें गुदा मार्ग में चुन्ने काटने की समस्या हो जाती है .
पेट के कृमि की आयुर्वेदिक ( कृमीधन चूर्ण) दवाई कैसे बनाये
ढाक के बीज 50 ग्राम
कूड़ा की छाल कुटज 50 ग्राम
वायवडिंग 120 ग्राम
इन तीनो को कूट पीस कर बारीक कपड़छान चूर्ण बनाकर साफ़ और सुखी शीशी में डाल कर रखें ,बस आपके और आपके बच्चों के लिए आयुर्वेदिक कृमि हर चूर्ण त्यार है . अगर आपको ये चूर्ण बनाने में मुश्किल आये तो आप इसे पंसारी की आयुर्वेदिक दूकान से भी खरीद सकते है ,बहुत सारी नामी कम्पनिया ( वैद्यनाथ ) इस चूर्ण को बनाती है .
सेवन विधि :-
2 ग्राम सुबहा - शाम गर्म गुनगुने पानी के साथ सेवन करना चाहिए ,इस चूर्ण को सेवन करने से पहले एक आध मीठी टॉफी, गुड़ या चीनी खा लेनी चाहिए . इसके सेवन से पेट की समस्त और हर प्रकार के हानिकारक कीड़े मर जाते है .और दस्त के रस्ते शरीर से बाहर निकल जाते है. इसके इलावा कबज आदि रोगो में भी लाभ मिलता है .
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