जतिफलादि चूर्ण आयुर्वेदिक इम्युनिटी बूस्टर है. पुराने से पुराने जुकाम को ठीक करने के लिए जतिफलादि चूर्ण का प्रयोग किया जाता है .jatiphladi churan के सेवन से शरीर रोग प्रति रोधक शक्ति बहुत अधिक बढ़ जाती है . किसी किसी व्यक्ति को थोड़ा सा हवा लगने पर जुकाम हो जाता है.नाक बहती रहती है . आजकल तो वायरस के कारन भी बहुत से लोगो को बराबर जुकाम बना हुआ रहता है . इन सभी परेशानिओ को दूर करने के लिए जतिफलादि चूर्ण का सेवन करना चाहिए .
जतिफलादि चूर्ण आयुर्वेदिक इम्युनिटी बूस्टर है . पुराने से पुराने जुकाम को ठीक करने के लिए जतिफलादि चूर्ण का प्रयोग किया जाता है .इसके सेवन से शरीर रोग प्रति रोधक शक्ति बहुत अधिक बढ़ जाती है . किसी किसी व्यक्ति को थोड़ा सा हवा लगने पर जुकाम हो जाता है.नाक बहती रहती है . आजकल तो वायरस के कारन भी बहुत से लोगो को बराबर जुकाम बना हुआ रहता है . इन सभी परेशानिओ को दूर करने के लिए जतिफलादि चूर्ण का सेवन करना चाहिए .
जतिफलादि चूर्ण के सेवन से शरीर में एक नयी स्फूर्ति का संचार होने लगता है .इस चूर्ण का प्रयोग मुख्य रूपसे , क्षय , स्वास रोग , पुराणी पेचिस को जड़ से ठीक करने के लिए भी किया जाता है इसमें भांग की मात्रा होने के कारन ये सतंभन का कार्य करता है .और थोड़ा नशीला भी है . इस लिए इसका सेवन सबधाणी पूर्वक करना चाहिए .
- जायफल 60 ग्राम
- लॉन्ग 60 ग्राम
- छोटी इलाची 60 ग्राम
- तेजपात 60 ग्राम
- दाल चीनी 60 ग्राम
- नागकेसर 60 ग्राम
- कपूर 60 ग्राम
- सफ़ेद चन्दन 60 ग्राम
- धोये हुए काले तिल 60 ग्राम
- बंशलोचन 60 ग्राम
- तगर 60 ग्राम
- आमला 60 ग्राम
- तालीसपत्र 60 ग्राम
- पीपल 60 ग्राम
- हर्रें 60 ग्राम
- चित्रक छाल 60 ग्राम
- सोंठ 60 ग्राम
- वयवडिंग 60 ग्राम
- मिर्च 60 ग्राम
- कलोंजी 60 ग्राम
जतिफलादि चूर्ण बनाने की विधि :-
सभी औषधिओं को धुप में सूखा कर बारीक चूर्ण बनाये उसके बाद कपड़ छान कर के इस पीसे हुए चूर्ण के बराबर मात्रा में धूलि हुयी भांग का चूर्ण मिला लें और फिर किसी साफ़ शीशी में सुरक्षित रख लें . इस चूर्ण को बच्चों की पहुँच से दूर रखें .मात्रा में धूलि हुयी भांग का चूर्ण मिला लें और फिर किसी साफ़ शीशी में सुरक्षित रख लें . इस चूर्ण को बच्चों की पहुँच से दूर रखें .
जतिफलादि चूर्ण के नुकसान :-
जतिफलादि चूर्ण एक आयुर्वेदिक एनर्जी बूस्टर है .बहुत बार आपने सुना भी होगा की आयुर्वेदिक औषधिओं का कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता . लेकिन ये बात सत्य नहीं है .औषधि तो औषधि ही है अगर सही निर्देशन और अधूरी जानकारी के साथ इनका सेवन किया जाये तो नुक्सान भी हो सकता है .इस लिए इसका सेवन करने से पहले आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श जरूर करें . इस आर्टिकल को बने के का मकसद आपको सिर्फ जानकारी देना है .
- . जतिफलादि चूर्ण में भांग का मिश्रण होने के कारन
- इसका सेवन करने के बाद ड्राइविंग नहीं करनी चाहिए
- .इस चूर्ण के सेवन के बाद स्विमिंग भी नहीं करनी चाहिए .
- बच्चों को इस चूर्ण का सेवन नहीं करवाना चाहिए
- गर्भवती महिलाओं को जतिफलादि चूर्ण के सेवन की सलाह नहीं दी जाती
जतिफलादि चूर्ण के फायदे :-
- अतिसार, पेट के मरोड़ को ठीक करता है .
- विषाणु और प्रागाणु से खांसी जुकाम में लाभकारी
- मंदाग्नि , भोजन में अरुचि अपचन को ठीक करे
- कई महीनो तक लगातार जुकाम बना रहे
- दस्त को रोकने वाला संग्रहणी रोग में गुणकारी
- जतिफलादि चूर्ण के सेवन से नींद अच्छी आती है
मात्रा और सेवन भी :-
250 मिलिग्राम चूर्ण को आधा चमच घी में मिलकर दिन में दो बार सेवन कर सकते हैं .
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