दुर्गा चालीसा अर्थ सहित Shri Durga Chalisa Lyrics

   दुर्गा माता के प्रिय भगतो इस लेख मैं आपको दुर्गा चालीसा हिंदी भाषा में और इंग्लिश लिपि में लिखा गया है। लेख के मध्य में Durga Chalisa PDF का लिंक दिया गया है, जिस पर क्लिक कर के आप दुर्गा चालीसा का पीडीऍफ़ डाउनलोड कर सकते हैं। प्रिय पाठको आपको दुर्गा चालीसा को समझने में कठिनाई न हो इस लिए दुर्गा चालीसा को अर्थ सहित प्रस्तुत किया गया है।

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दुर्गा चालीसा अर्थ सहित

नमो नमो दुर्गे सुख करनी।

नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥ 1 ॥


अर्थ: सुख प्रदान करने वाली

मां दुर्गा को मेरा नमस्कार है।

दुख हरने वाली मां

श्री अम्बा को मेरा नमस्कार है ।

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निरंकार है ज्योति तुम्हारी।

तिहूं लोक फैली उजियारी॥ 2 ॥


अर्थ: आपकी ज्योति का

प्रकाश असीम है,

जिसका तीनों लोको में

प्रकाश फैल रहा है।

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शशि ललाट मुख महाविशाला।

नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥ 3 ॥


अर्थ: आपका मस्तक चन्द्रमा के समान

और मुख अति विशाल है।

नेत्र रक्तिम एवं भूकुटियां

विकराल रूप वाली हैं ।

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रूप मातु को अधिक सुहावे।

दरश करत जन अति सुख पावे॥ 4 ॥


अर्थ: मां दुर्गा का यह रूप

अत्यधिक सुहावना है ।

इसका दर्शन करने से

भक्तजनों को परम सुख मिलता है।

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तुम संसार शक्ति लै कीना।

पालन हेतु अन्न धन दीना॥ 5 ॥


अर्थ: संसार के सभी शक्तियों को

आपने अपने में समेटा हुआ है।

जगतके पालन हेतु

अन्न और धन प्रदान किया है।

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अन्नपूर्णा हुई जग पाला।

तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥ 6 ॥


अर्थ: अन्नपूर्णा का रूप धारण कर

आप ही जगत पालन करती हैं और

आदि सुन्दरी बाला के

रूप में भी आप ही हैं ।

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प्रलयकाल सब नाशन हारी।

तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥ 7 ॥


अर्थ: प्रलयकाल में आप ही

विश्व का नाश करती हैं।

भगवान शंकर की प्रिया

गौरी-पार्वती भी आप ही हैं ।

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शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।

ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥ 8 ॥


अर्थ: शिव व सभी योगी आपका

गुणगान करते हैं ।

ब्रह्मा-विष्णु सहित सभी देवता

नित्य आपका ध्यान करते हैं।

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रूप सरस्वती को तुम धारा।

दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥ 9 ॥


अर्थ: आपने ही मां सरस्वती का रूप

धारण कर ऋषि-मुनियों को सदुद्धि

प्रदान की और उनका उद्धार किया ।

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धरयो रूप नरसिंह को अम्बा।

परगट भई फाड़कर खम्बा॥ 10 ॥


अर्थ: हे अम्बे माता!

आप ही ने श्री नरसिंह का

रूप धारण किया था और

खम्बे को चीरकर प्रकट हुई थीं ।

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रक्षा करि प्रह्लाद बचायो।

हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥ 11 ॥


अर्थ: आपने भक्त प्रहलाद की रक्षा

करके हिरण्यकश्यप को

स्वर्ग प्रदान किया, क्योर्किं

वह आपके हाथों मारा गया।

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लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।

श्री नारायण अंग समाहीं॥ 12 ॥


अर्थ: लक्ष्मीजी का रूप धारण

कर आप ही क्षीरसागर में

श्री नारायण के साथ

शेषशय्या पर विराजमान हैं ।

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क्षीरसिन्धु में करत विलासा।

दयासिन्धु दीजै मन आसा॥ 13 ॥


अर्थ: क्षीरसागर में भगवान विष्णु

के साथ विराजमान

हे दयासिन्धु देवी! आप मेरे

मन की आशाओं को पूर्ण करें ।

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हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।

महिमा अमित न जात बखानी॥ 14 ॥


अर्थ: हिंगलाज की देवी भवानी के

रूप में आप ही प्रसिद्ध हैं। आपकी

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मातंगी अरु धूमावति माता।

भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥ 15 ॥


अर्थ: मातंगी देवी और धूमावाती

भी आप ही हैं भुवनेश्वररी और

बगलामुखी देवी के रूप में

भी सुख की दाता आप ही हैं ।

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श्री भैरव तारा जग तारिणी।

छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥ 16 ॥


अर्थ: श्री भैरवी और तारादेवी के

रूप में आप जगत उद्धारक हैं ।

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केहरि वाहन सोह भवानी।

लांगुर वीर चलत अगवानी॥ 17 ॥


अर्थ: वाहन के रूप में

सिंह पर सवार हे

भवानी! हनुमान जी जैसे वीर

आपकी अगवानी करते हैं ।

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कर में खप्पर खड्ग विराजै।

जाको देख काल डर भाजै॥ 18 ॥


अर्थ: आपके हाथों में जब कालरूपी

खप्पर व खड् होता है तो उसे

देखकर काल भी भयग्रस्त हो जाता है।

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सोहै अस्त्र और त्रिशूला।

जाते उठत शत्रु हिय शूला॥ 19 ॥


अर्थ: हाथों में महाशक्तिशाली

अस्त्र-शस्त्र और त्रिशूल

उठाए हुए आपके रुप को देख

शत्रु के हृदय में शूल उठने लगते है।

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नगरकोट में तुम्हीं विराजत।

तिहुंलोक में डंका बाजत॥ 20 ॥


अर्थ: नगरकोट वाली देवी के रूप में

आप ही विराजमान हैं। तीनों लोकों में

आपके नाम का डंका बजता है।

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शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे।

रक्तबीज शंखन संहारे॥ 21 ॥


अर्थ: हे मां! आपने शुम्भ

और निशुम्भजैसे राक्षसों का

संहार किया व

रक्तबीज तथा शंख राक्षस

का भी वध किया ।

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महिषासुर नृप अति अभिमानी।

जेहि अघ भार मही अकुलानी॥ 22 ॥


अर्थ: अति अभिमानी दैत्यराज

महिषासुर के पापों के

भार से जब धरती

व्याकुल हो उठी ।

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रूप कराल कालिका धारा।

सेन सहित तुम तिहि संहारा॥ 23 ॥


अर्थ: तब काली का विकराल रूप

धारण कर आपने उस पापी का सेना

सहित सर्वनाश कर दिया ।

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परी गाढ़ संतन पर जब जब।

भई सहाय मातु तुम तब तब॥ 24 ॥


अर्थ: हे माता! संतजनों पर जब-जब

विपदाएं आईं तब-तब आपने

अपने भक्तों की सहायता की है।

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अमरपुरी अरु बासव लोका।

तब महिमा सब रहें अशोका॥ 25 ॥


अर्थ: हे माता! जब तक ये अमरपुरी

और सब लोक विधमान हैं

तब आपकी महिमा से

सब शोकरहित रहेंगे।

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ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।

तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥ 26 ॥


अर्थ: हे मां! श्री ज्वालाजी में भी

आप ही की ज्योति जल रही है।

नर-नारी सदा आपकी पुजा करते हैं ।

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प्रेम भक्ति से जो यश गावें।

दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥ 27 ॥


अर्थ: प्रेम, श्रद्धा व भक्ति सेजों

व्यक्ति आपका गुणगान करता है, दुख

व दरिद्रता उसके नजदीक नहीं आते ।

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ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।

जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥ 28 ॥


अर्थ: जो प्राणी निष्ठापूर्वक आपका

ध्यान करता है वह जन्म-मरण के

बन्धन से निश्चित ही मुक्त हो जाता है।

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जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।

योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥ 29 ॥


अर्थ: योगी, साधु, देवता और मुनिजन

पुकार-पुकारकर कहते हैं की

आपकी शक्ति के

बिना योग भी संभव नहीं है।

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शंकर आचारज तप कीनो।

काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥ 30 ॥


अर्थ: शंकराचार्यजी ने आचारज नामक

तप करके काम, क्रोध, मद,

लोभ आदि सबको जीत लिया।

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निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।

काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥ 31 ॥


अर्थ: उन्होने नित्य ही शंकर भगवान

का ध्यान किया, लेकिन आपका

स्मरण कभी नहीं किया ।

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शक्ति रूप का मरम न पायो।

शक्ति गई तब मन पछितायो॥ 32 ॥


अर्थ: आपकी शक्ति का  भेद

वे नहीं जान पाए। जब उनकी

शक्ति छिन गई,

तब वे मन-ही-मन पछताने लगे ।

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शरणागत हुई कीर्ति बखानी।

जय जय जय जगदम्ब भवानी॥ 33 ॥


अर्थ: आपकी शरण आकार उनहोंने

आपकी कीर्ति का गुणगान करके

जय जय जय जगदम्बा

भवानी का उच्चारण किया।

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भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।

दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥ 34 ॥


अर्थ: हे आदि जगदम्बाजी!

तब आपने प्रसन्न

होकर उनकी शक्ति उन्हें

लौटाने में विलम्ब नहीं किया ।

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मोको मातु कष्ट अति घेरो।

तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥ 35 ॥


अर्थ: हे माता! मुझे चारों ओर से

अनेक कष्टों ने घेर रखा है। आपके

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आशा तृष्णा निपट सतावें।

रिपू मुरख मौही डरपावे॥ 36 ॥


अर्थ: हे माता! आशा और तृष्णा

मुझे निरन्तर सताती रहती हैं। मोह,

अहंकार, काम, क्रोध,

ईर्ष्या भी दुखी करते हैं।

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शत्रु नाश कीजै महारानी।

सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥ 37 ॥


अर्थ: हे भवानी! मैं एकचित होकर

आपका स्मरण करता हूँ। आप मेरे

शत्रुओं का नाश कीजिए ।

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करो कृपा हे मातु दयाला।

ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला ॥ 38 ॥


अर्थ: हे दया बरसाने वाली अम्बे मां!

मुझ पर कृपा दृष्टि कीजिए और

ऋद्धि-सिद्धि आदि

प्रदान कर मुझे निहाल कीजिए ।

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जब लगि जिऊं दया फल पाऊं ।

तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं ॥ 39 ॥


अर्थ: हे माता! जब तक मैं जीवित रहूँ

सदा आपकी दया दृष्टि बनी रहे

और आपकी महिमा

वर्णन मैं सबको सुनाता रहूँ ।

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दुर्गा चालीसा जो कोई गावै।

सब सुख भोग परमपद पावै॥ 40 ॥


अर्थ: जो भी भक्त प्रेम व श्रद्धा से

दुर्गा चालीसा का पाठ करेगा, सब

सुखों को भोगता हुआ

परमपद को प्राप्त होगा ।

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देवीदास शरण निज जानी।

करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥ 41 ॥


अर्थ: हे जगदमबा! हे भवानी!

देविदास को अपनी शरण में जानकर

उस पर कृपा कीजिए।

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Durga Chalisa Lyrics In English

Namo Namo Durge Sukh Karani,

Namo Namo Ambe Dukh Harani


Nirakar Hai Jyoti Tumhari,

Tihoun Lok Phaili Uujiyaari


Shashi Lalaat Mukh Maha Vishala,

Netra Lal Bhrikoutee Vikaraala


Roop Maatu Ko Adhik Suhaave,

Darshan Karata Jana Ati Sukh Paave


Tum Sansar Shakti Laya Keena,

Palana Hetu Anna Dhan Deena


Annapoorna Hui Tu Jag Pala,

Tumhi Aadi Sundari Bala


Pralayakala Sab Nashana Haari,

Tum Gouri Shiv Shankar Pyari


Shiv Yogi Tumhre Gun Gaavein,

Brahma Vishnu Tumhein Nit Dhyavein


Roop Saraswati Ka Tum Dhara,

Day Subuddhi Rishi Munina Ubara


Dharyo Roop Narsimha Ko Amba,

Pragat Bhayi Phaad Ke Khamba


Raksha Kari Prahlad Bachaayo,

Hiranyaykush Ko Swarga Pathayo


Lakshmi Roop Dharo Jag Maahin,

Shree Narayan Anga Samahin


Ksheer Sindhu Mein Karat Vilaasa,

Daya Sindhu Deejey Man Aasa


Hingalaja Mein Tumhi Bhavani,

Mahima Amit Na Jaat Bakhani


Matangi Aru Dhoomawati Mata,

Bhuvaneshwari Bagala Sukhdata


Shree Bhairav Tara Jag Tarani,

Chhinna Bhala Bhava Dukh Nivarini


Kehari Vahan Soha Bhavani,

Laangur Veer Chalata Agavani


Kar Mein Khappar Khadaga Virajay,

Jako Dekh Kaal Dar Bhajey


Sohe Astra Aur Trishula,

Jase Uthata Shatru Hiya Shoola


Nagarkot Mein Toumhi Virajat,

Tihoun Lok Mein Danka Baajat


Shumbh Nishumbh Daanuv Tum Maare,

Rakta Beej Shankhana Sanghaare


Mahishasur Nrip Ati Abhimaani,

Jehi Agh Bhar Mahi Akulaani


Roop Karaal Kali ka Dhara,

Sen Sahita Tum Tihin Samhara


Pari Gaarh Santana Par Jab Jab,

Bhayi Sahay Matou Tum Tab Tab


Amarpuri Arubaa Sab Lokaa,

Tab Mahima Sab Kahey Ashoka


Jwala Mein Hai Jyoti Tumhari,

Tumhein Sada Poojey Nar Nari


Prem Bhakti Se Jo Yash Gave,

Dukh Daridra Nikat Nahin Aave


Dhyaave Tumhein Jo Nar Man Layi,

Janma Maran Tako Chhouti Jaayi


Yogi Sur Muni Kahat Pukaari,

Yog Na Hoye Bina Shakti Tumhari


Shankara Acharaj Tap Ati Keenho,

Kaam Krodh Jeet Sab Leenho


Nishidin Dhyan Dharo Shankar Ko,

Kaahu Kaal Nahin Soumiro Tumko


Shakti Roop Ko Maram Na Payo,

Shakti Gayi Tab Man Pachitayo


Sharnagat Huyi Kirti Bakhaani,

Jai Jai Jai Jagadambe Bhavani


Bhayi Prasanna Aadi Jagadamba,

Dayi Shakti Nahin Keen Vilamba


Maukon Maatu Kashta Ati Ghero,

Tum Bin Kaun Harey Dukh Mero


Asha Trishna Nipat Satavein,

Ripu Moorakh Mohe Ati Darpaave


Shatru Nash Kijey Maharani,

Soumiron Ikchit Tumhein Bhavani


Karo Kripa Hey Maatu Dayala,

Riddhi Siddhi Dey Karahou Nihaala


Jab Lagi Jiyoun Daya Phal Paoun,

Tumhro Yash Mein Sada Sounaoun


Durga Chalisa Jo Nar Gaavey,

Sab Sukh Bhog Parampad Pavey


Devidas Sharan Nij Jaani,

Karahoun Kripa Jagadambe Bhavani

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